फिर सलीबों पे मसीहा होगा
कुँवर कुसुमेश
क्या हक़ीक़त में करिश्मा होगा.
वक़्त कल आज से अच्छा होगा.
लोग कहते हैं कि ऐसा होगा,
जबकि लगता है कि उल्टा होगा.
साँप सड़कों पे नज़र आयेंगे,
और बाँबी में सपेरा होगा.
वक़्त दोहरा रहा है अपने को,
फिर सलीबों पे मसीहा होगा.
आदमीयत से जिसको मतलब है,
देख लेना वो अकेला होगा.
है 'कुँवर' सोच ये आशावादी,
रात जायेगी,सवेरा होगा.
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सलीब-सूली