पेड़ों पे भरोसा रख
कुँवर कुसुमेश
ख़ुद पर न सही लेकिन पेड़ों पे भरोसा रख,
नायाब ज़मीं पर ये अल्लाह का तोहफा रख.
माना कि ग़रीबी में मुश्किल है बाग़बानी,
गमले में मगर छोटा तुलसी का ही पौधा रख.
ओज़ोन की छतरी का लिल्लाह दरक जाना,
कहता है नहीं माना तो झेल ये ख़तरा रख..
क्या खाक बनाया है इन्सां को मेरे मौला ,
थोड़ी तो समझ सर के अन्दर मेरे मौला रख.
मत काटना पेड़ों को खुशियों के तमन्नाई ,
दुनिया के लिए कुछ तो खुशियों की तमन्ना रख.
मालिक से ' कुँवर ' कोई भी बात नहीं छुपती,
इन्सान से रखना है तो शान से पर्दा रख.